टॉकिंग याक की कहानी

टॉकिंग याक की कहानी की शुरुवात, सुन्दरमूर्ति रोड, बैंगलोर से शुरू हुई। तीन प्रतिभाशाली लोगों ने, जिनमे तीन टीच फॉर इंडिया के लिए काम कर चुके है, इस कार्यक्रम की शुरुवात की ताकि भारत में अंग्रेजी पढ़ाने के तरीके को बदला जा सके।
हमारे एक ही सरल लेकिन मुश्किल लक्ष्य था: की किस तरह सबसे सहज और प्रभावी कार्यक्रम बनाया जाए, जो अंग्रेजी सीखने की बाधाओं को दूर करें।
हमारे इस प्रयास के मतलब था की हम इस पाठ्यचर्या को गहरायी से देखें, भारत में सीखने वालों को गहराई से समझे। ये तय करें की कैसे हम टेक्नोलजी का सही इस्तेमाल कर, अंग्रेजी सीखने के इस लक्ष्य को आसान और महत्त्वपूर्ण बना सकते है।
जिन जिन लोगो ने इस लक्ष्य में योगदान दिया है, वह प्रारंभिक टीम तक सीमित नहीं है। हमारी इस कंपनी को 100 से ज़्यादा लोगो से लाभ हुआ है।
शिक्षक जो पाठ्यक्रम डिज़ाइन, पाठ क्राफ्टिंग में योग्य है, लेखक जो अंग्रेज़ी, हिंदी और तमिल में सहज है, अनुवादकों, स्क्रिप्ट सम्पादकों, फिल्म निर्माताओं, वीडियो संपादकों, साउंड इंगिनीरों और साउंड संपादकों, एनिमेटरों और चित्रकारों, ग्रोहिक डिज़ाइनरों, UX/UI में विशेषज्ञ शिक्षक, अभिनेताओं (कुछ उल्लेखनीय हास्य कलाकारों और निपूर्ण मंच कलाकारों सहित, वॉइसओवर कलाकारों, कॉन्टेंट निर्माता, स्टटिस्टिशियन्स, प्रोग्राम मैनेजर, कुछ गुणवान और जिम्मेदार इंटर्न और देश के सबसे प्रतिभाशाली सॉफ्टवेयर डेवलपर। इन सभी लोगों ने हमारे इस प्रोग्राम में जान डालने में हमारी मदद की है।
और ये लोग बस हमारे दीवारों के अंदर लोग है।
बाहर की दुनिया से भी हमें काफी मदद और प्रोत्साहन मिला। हमें देश भर के NGO भागीदारों से, विश्वविधालया और सरकार के सलाहकारों से, फ़ाउंडेशन लीडर्स और उद्योग दिगग्जौ से अमूल्य प्रेरणा और सहायता मिली। हम उन् स्कूलों और कॉलेजों के विशेष रूप से आभारी है जिन्होंने हमें अपने संस्थानों में अनुसंधान और क्षेत्र परीक्षण करने का मौका दिया।
एक पुरानी कहावत सुनी होगी आपने, की 15 रुपए और सबसे बड़ा विचार, खुद सिर्फ वह एक कप कॉफी खरीदने के लायक है। बड़े विचारों को उच्च नेताओं की ज़रुरत है और हमारे पास वह है। विशेष रूप से दो लोग है जिनके लिए खासकर में प्रशंसा व्यक्त करना चाहुँगा। उनके बगैर टॉकिंग याक यहाँ तक कभी नहीं पहुँचता, ये उचाइयां कभी नहीं छू पाता।
पहली, अर्पिता रवींद्रन, हमारी संचालन प्रमुख। पूरे प्रोग्राम की कोड स्तर पर समझ रखते हुए, वह दक्षता और प्रभावशीलता के लिए मौजूदा प्रणालियों को ठीक करती है और सारी तकनीकी चीज़ों को अमल करने के लिए जिमीदार है। एक ज़िम्मेदारी के रूप में ये खुद ही में बहुत बड़ी बात है। इसके अलावा अर्पिता हमारा साझेदारी और सहायता का प्रोग्राम भी चलाती है। अगर हमारी कंपनी का मक़सद सीखने की यात्रा में निकले छात्रों का नेतृत्व करना है, तो अर्पिता का मक़सद है उन सभी ट्रेनों को समय अनुसार चलाना।
दूसरी है यामिनी रविचंद्रन, मेरी सह निर्देशक, जो टॉकिंग याक के साथ पहले दिन से जुड़ी हैं। जो लोग टॉकिंग याक को दिलोजान से जाते है, वो लोग यामिनी को टॉकिंग याक की रीढ़ की हड्डी का दर्जा देते है। उन्होंने हमारी कंपनी के सभी प्रमुख पहलू को संभाला है। पाठ्यक्रम, कॉन्टेंट, उत्पादन डिज़ाइन में उनका बड़ा हाथ है। सरकारी और शैक्षिक संस्थाओ तक पहुंचने का और कॉर्पोरटे भागीदारी का नैत्रीवत्व उठाने का श्रेय भी इन्ही के नाम जाता है। यामिनी इस यात्रा में हमेशा मेरी साथी रही है।
उस सभी लोगो को जिनका हमारी इस यात्रा में योगदान रहा है, उन्हें गर्व होने चाहिए की हमने, साथ मिलकर, भारत में अंग्रेज़ी पढाये जाने के तरीके को बदल दिया है, सभी को पता होना चाहिए की हमने झंडे गाड़ दिए है।
और देखते जाइये, अभी बहुत कुछ होगा।
अपनी ओर से, हमारे संगठन की ओर से, "और अंग्रेजी सीखने में डिल्चस्पी रखने वाले उन अरबो लोगो" की ओर से, धन्यवाद।
आपका,
टॉम
ठॉमस लटिनोविच टॉकिंग याक के संस्थापक हैं। सिलिकॉन वैली में एक बहु-दशक करियर के बाद, @होम नेटवर्क, एक्साइट@होम और मैचलॉगिक जैसे संस्थानों के नेतृत्व के बाद, और जिंगल नेटवर्क/ 800-फ्री411 की सेह-स्थापना करने के बाद, टॉम ने अपने 10 साल अंग्रेजी सिखाने में समर्पित कर दिए। वह दक्षिण पूर्व ऐशिये, मध्ये अमेरिकी वयस्क अप्रवासी और उतरी कैलिफ़ोर्निया के वंचित क्षेत्रों में अंग्रेजी सीखा चुके है । उनकी विशेषज्ञता छात्रों को तेज़ी से 100% अंग्रेजी बोलने वाले वातावरण में काम करने के लिए तैयार कर रही है । 2015 में टॉम उस समझ को लेकर भारत आये और तभी उन्होंने टॉकिंग याक की स्थापना की।