हमारी कहानी

टॉकिंग याक़ अंग्रेज़ी पढ़ाने की एक ऐसी पद्धती है जो विशेष रूप से हिंदी और तमिल भाषियों के लिए बनाई गई है। प्रत्येक भाषा में 400 से भी अधिक पाठ और प्रत्येक सीखने वाले के पहले से प्राप्त ज्ञान के अनुरूप तैयार पाठ्यक्रम द्वारा टॉकिंग याक ने यह सिद्ध कर दिया है कि पारम्परिक शिक्षण पद्धति की अपेक्षा यह सात गुणा तेज़ है।

टॉकिंग याक के निर्देश अंग्रेज़ी के अनेक अभ्यासों, विश्व के सर्वोच्च माने जाने वाले स्पीच रेकॉग्नीशन / उच्चारण इंजन के साधनों, व्यक्तिगत निपुणता और लाइव टीचर्स से भरपूर हैं। जो सीखने वालों को अंग्रेज़ी का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करते हैं। हमारी योजना संपूर्ण भारत में प्रयोग में लाई जा रहीं हैं।

होप फाउंडेशन, बार्कलेस, टेक महिंद्रा और डैल जैसी एन. जी. ओस, लाभार्थियों को तीव्र गति से 100% अंग्रेज़ी बोलने वाला वातावरण देने में टॉकिंग याक पर पूरी तरह से भरोसा करती हैं। प्लेसमेंट बढ़ाने के लिए और स्नातकों को आजकल के अत्यधिक सहयोगात्मक रूप से कार्य करने वाले वातावरण के लिए अच्छे प्रकार से तैयार करने के लिए भारत के सब कॉलेज और यूनिवर्सिटीज टॉकिंग याक का प्रयोग करते हैं। स्कूलों के विद्यार्थियों को तेजी से अध्ययन, शुद्ध व्याकरण, आसानी से विश्वासपूर्ण ढंग से बातचीत करने की योग्यता प्राप्त करने में बहुत सहायता मिली है। यहाँ तक कि राज्य सरकारें भी अध्यापकों की ट्रेनिंग के लिए टॉकिंग याक को उपयोग में ला रही हैं और इसकी केवल तीन महीनों की पढ़ाई से सात गुणा अधिक सफलता दिखाई दी है।

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प्रमुख बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, स्टार्ट - अप्स और छोटे व्यापारियों द्वारा आजमाई हुई।
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टॉकिंग याक भारत में बनाया गया था

भारत में अंग्रेजी पढ़ाने हेतु, चार प्रतिभावान व्यक्ति, जिनमें से तीन टीच फॉर इंडिया के पूर्व ‘फेलो’ रह चुके हैं ने भारत में अंग्रेजी पढ़ाने हेतु, बैंगलोर के सुंदरमूर्ति रोड़ से एक परियोजना की शुरुआत की।

टॉकिंग याक एक साधारण से लक्ष्य को लेकर शुरू किया गया था, जो कि यद्धपि मुश्किल लक्ष्य था: अंग्रेज़ी भाषा सीखने के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए बहुत ही सहज ज्ञान युक्त, प्रभावशाली और सुगम व्यवस्था जो पहले कभी न बनी हो।

हमारी कोशिश पाठ्यक्रम को सुचारु रूप से बनानें में रही है और कुशल आकलन के लिए स्किल अस्सेस्मेंट्स और संचार कौशल पर विशेष महत्व दिया गया है। इसके लिए उन साधनों की बारीकी से समझ की आवश्यकता थी, जिससे टेक्नोलॉजी शिक्षा को बढ़ावा दे सके और हाँ, ऐसा करने के लिए हमारे सीखने वाले जो की भारतीय हैं , उनकी स्थानीय समझ के बारे में अच्छी तरह से जानना ज़रूरी था।

इसमें योगदान केवल हमारी प्रारम्भिक टीम का ही नहीं है। कंपनी के इतिहास के अनुसार, हमारी कंपनी ने लगभग 100 लोगों से सहायता ली, जिसमें :

पाठ्क्रम, पाठ और मूल्यांकन करने में निपुण अध्यापक, अंग्रेज़ी के सहज लेखक, हिंदी और तमिल के अनुवादक और पटकथा सम्पादक, फिल्म बनाने वाले और वीडियो सम्पादक, ध्वनि इंजीनियरस और सम्पादक, एनिमेटर्स और स्पष्टकर्ता, ग्राफ़िक डिज़ाइनरस और यू एक्स/यू आई एक्सपर्ट्स, अभिनयकर्ता (कुछ बहुत अच्छे हास्य अभिनेता और निपुण मंच कलाकार ), वॉइसओवर कलाकार, कॉन्टेंट निर्माता, स्टेटस्टीशियन, कार्यक्रम प्रबंधक और कुछ प्रौढ़ और उत्तरदायी इन्टर्नस। और हाँ, हमारे इस प्रॉडक्ट को जीवन दान का काम तो निःसदेह ही भारत के कुछ उत्तम सॉफ्टवेयर डेवेलपर्स ने दिया है।

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आज की तारीख में टॉकिंग याक कार्यालय और कॉनफेरेंस की सुविधा

और यह केवल हमारी आतंरिक बातें थीं।

बाहरी समुदाय ने भी हमारी बहुत सहायता की है। सारे देश के सहयोगी एन.जी.ओ और सरकारी सलाहकारों, संस्थाओं के मार्गदर्शक और विशाल उद्योगपतियों से हमें अमूल्य प्रेरणा, सहायता और अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई है। हम स्कूलों और कॉलेजों के आभारी हैं और उनका धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमें अपने संस्थानों में अनुसंधान और क्षेत्रीय परीक्षण का अवसर दिया और हमारा अभिनंदन किया।

आप सब को गर्व करना आवश्यक है कि आपके योगदान और हमारे आपसी सहयोग से किये गए प्रयत्नों के द्वारा ही हमने भारत मेंअंग्रेज़ी पढ़ाने का ढंग परिवर्ततित किया है। सच में हम अद्भुत कार्य कर रहे हैं।

मैं अपने और अपनी संस्था की ओर से “और विश्व के अरबों अंग्रेज़ी भाषा आकांक्षियों ,” आप सबका धन्यवाद करता हूँ।

भवदीय,
टॉम


थॉमस लेटिनोविच टॉकिंग याक के संस्थापक हैं। जिन्होंने सिलिकॉन वैली मेँ अनेक दशकों तक कई व्यवसाय किये जिनमें @ होम नेटवर्क, एक्साइट@होम, मैचलोजिक में उच्च पद पर रहे और जिंगल नेटवर्क / 800 - फ्री 411 के सफल सह - संस्थापक रहे। उन्होंने लगभग 10 वर्षों तक उत्तरी कैलिफ़ोर्निया के आर्थिक दृष्टि से पिछड़े इलाकों में दक्षिण पूर्वी एशिया और मध्य अमरीका के प्रौढ़ अप्रवासियों को अंग्रेज़ी सिखाई। उनकी निपुणता शिक्षार्थियों को १००% अंग्रेज़ी भाषा बोलने वाले वातावरण में नियुक्ति के लिए तीव्र गति से तैयार कर रही है । उन्होंने 2015 में टॉकिंग याक की स्थापना की और उस ज्ञान को भारत में लाए।